Paatal Lok Season 2 Review: हथिराम की वापसी से हिला मंच

पाताल लोक हाथीराम चौधरी की दुनिया में और गहराई से उतरता है, इस बार कहानी नागालैंड की राजनीति में उलझी हुई है। भारतीय वेब सीरीज की दुनिया में अगर किसी शो ने कंटेंट, एक्टिंग और कहानी के मामले में नया बेंचमार्क सेट किया है तो वो है पाताल लोक। और अब पाताल लोक सीजन 2 ने साबित कर दिया है कि कुछ कहानियां सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं होतीं, बल्कि समाज की परतों को खोलने के लिए भी होती हैं। हाथीराम चौधरी के किरदार में जयदीप अहलावत ने एक बार फिर ऐसी एक्टिंग की है कि दर्शकों के दिलों में लंबे समय तक छाप छोड़ेगी।

सीजन 2 न सिर्फ पहले सीजन की बराबरी करता है, बल्कि कुछ मायनों में उससे आगे भी निकल जाता है। यमुना पार से नागालैंड तक फैली है रहस्यमयी कहानी सीजन 2 की शुरुआत दिल्ली में एक मशहूर नागालैंड बिजनेस समिट के दौरान एक प्रमुख राजनीतिक नेता की नृशंस हत्या से होती है। इसके बाद, अब एक आईपीएस अधिकारी इमरान अंसारी (इशवाक सिंह) को मामले की जांच के लिए नियुक्त किया जाता है। दूसरी ओर, हाथीराम चौधरी अभी भी जमुना पार पुलिस स्टेशन में एक ड्रग कूरियर के लापता होने की जांच कर रहा है। जल्द ही, दोनों मामले आपस में जुड़ जाते हैं, और जांच उन्हें नागालैंड ले जाती है – जहां राजनीति, उग्रवाद, ड्रग माफिया और स्थानीय अविश्वास उन्हें एक जटिल उलझन में डाल देते हैं।

हाथीराम: इस सीजन का दिल और आत्मा

शो का असली हीरो केस नहीं, बल्कि हाथीराम चौधरी है। पहला एपिसोड ही एक यादगार रिकैप के साथ शुरू होता है, जहां सीजन 1 की कहानी दोहराई जाती है – लेकिन फोकस केवल हाथीराम की यात्रा पर रहता है, केस के विवरण पर नहीं।

यह एक स्पष्ट संकेत है कि यह सीजन भी हाथीराम की आंखों से दुनिया को दिखाता है। उनकी व्यक्तिगत लड़ाई, उनका गुस्सा, उनका धैर्य और सिस्टम से लड़ने का उनका दृढ़ संकल्प शो की आत्मा है।

राजनीति और अपराध का गहरा ताना-बाना

सीजन 2 के लेखकों ने एक साहसिक निर्णय लिया – नागालैंड जैसे संवेदनशील और कम दिखाए जाने वाले राज्य को कहानी का केंद्र बनाने का। स्थानीय राजनीति, अलगाववादी सोच और सामुदायिक संघर्षों को कहानी में इस तरह से बुना गया है कि यह न तो सतही लगता है और न ही जबरदस्ती से।

निर्देशक सुदीप शर्मा और अविनाश अरुण धावरे ने एक जटिल विषय को संतुलित कहानी के साथ चित्रित किया है। कैमरा वर्क, बैकग्राउंड स्कोर और लोकेशन सिलेक्शन बेहद प्रामाणिक है, जो दर्शकों को नागालैंड की गलियों और साजिशों में डुबो देता है।

सहायक कलाकार भी शानदार

जहां जयदीप अहलावत शो के स्तंभ हैं, वहीं तिलोत्तमा शोम ने अपने अभिनय से स्थानीय एसपी की भूमिका में गहराई ला दी है। इस सीज़न में इश्वाक सिंह का किरदार ज़्यादा परिपक्व लग रहा है और उसके विकास से पता चलता है कि शो सिर्फ़ हाथीराम के इर्द-गिर्द ही नहीं घूमता, बल्कि दूसरे किरदारों को भी बराबर जगह देता है।

पाताल लोक सिर्फ़ एक क्राइम थ्रिलर से कहीं बढ़कर है

पाताल लोक, एक क्राइम थ्रिलर होने के बावजूद, एक गहरा सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य रखता है। शो दिखाता है कि सिस्टम में इंसानियत और सच्चाई के लिए जगह बनाना कितना मुश्किल है।

इस सीजन में ड्रग्स, राजनीतिक साजिशों, जाति और सांस्कृतिक मुद्दों को बहुत गंभीरता से दर्शाया गया है। इतना सब करने के बावजूद शो कहीं भी ‘उपदेश’ नहीं देता – बल्कि कहानी के साथ-साथ मुद्दों को भी परोसता है।

निष्कर्ष: यह सिर्फ़ एक सीजन नहीं, एक अनुभव है

पाताल लोक सीजन 2 वह दुर्लभ उदाहरण है, जहां एक लोकप्रिय शो अपने सीक्वल में गिरने के बजाय और ऊपर उठता है। अभिनय, निर्देशन, लेखन और सामाजिक परिप्रेक्ष्य – हर लिहाज से यह शो भारतीय ओटीटी में एक मील का पत्थर है।

जयदीप अहलावत ने एक बार फिर दिखा दिया है कि वे सिर्फ़ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक भावना हैं। पाताल लोक अब सिर्फ़ एक शो नहीं रह गया है, बल्कि भारतीय कंटेंट का ‘स्थायी निवासी’ बन गया है।

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