मार्केट से पहले: सोमवार को शेयर बाजार की चाल तय करने वाले 10 बड़े फैक्टर

भारत का शेयर बाजार शुक्रवार को राष्ट्रीय अवकाश के कारण बंद रहा, लेकिन निवेशकों की नज़र अब सोमवार की ट्रेडिंग पर टिकी हुई है। गुरुवार को सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में मजबूती देखने को मिली और लगातार छह हफ्तों से चली आ रही गिरावट की रफ्तार थमी। इस बढ़त के पीछे प्रमुख कारण रहे — इन्फोसिस का ऑस्ट्रेलिया की वर्सेंट ग्रुप (Versent Group) में हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान और वैश्विक बाजारों में आई कुछ सकारात्मकता। हालांकि, रूस-अमेरिका की वार्ता और यूक्रेन युद्ध की अनिश्चितता ने निवेशकों को अब भी सतर्क बनाए रखा है।

इस लेख में हम उन 10 प्रमुख फैक्टर्स पर चर्चा करेंगे जो सोमवार को भारतीय शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे।

1. वैश्विक संकेतक और अमेरिकी बाजार का रुख

भारतीय शेयर बाजार की चाल अक्सर अमेरिकी बाजारों और वैश्विक संकेतकों से प्रभावित होती है। पिछले सप्ताह अमेरिकी स्टॉक इंडेक्स डॉव जोन्स, नैस्डैक और एसएंडपी 500 में हल्की मजबूती देखने को मिली। फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति, महंगाई के आंकड़े और रोजगार रिपोर्ट जैसे डेटा सोमवार को निवेशकों की रणनीति तय करेंगे। यदि अमेरिकी बाजार सकारात्मक रहते हैं तो इसका असर भारतीय बाजार पर भी दिखाई देगा।

2. रूस-अमेरिका वार्ता और यूक्रेन युद्ध

रूस और अमेरिका के बीच चल रही वार्ता वैश्विक निवेशकों के लिए एक बड़ा फैक्टर है। यूक्रेन युद्ध ने पिछले दो सालों से ऊर्जा कीमतों, कच्चे तेल और वैश्विक व्यापार को गहराई से प्रभावित किया है। यदि वार्ता में कोई सकारात्मक संकेत मिलता है, तो निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है। वहीं, असफलता की स्थिति में गिरावट की संभावना रहेगी।

3. आईटी सेक्टर से उम्मीदें – इन्फोसिस पर निवेशकों की नज़र

भारतीय आईटी सेक्टर हमेशा से निफ्टी और सेंसेक्स के लिए रीढ़ की हड्डी रहा है। गुरुवार को इन्फोसिस के शेयर में मजबूती देखने को मिली क्योंकि कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया की वर्सेंट ग्रुप में हिस्सेदारी खरीदने का फैसला किया। इस कदम से कंपनी की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति और मज़बूत होगी। सोमवार को निवेशक आईटी स्टॉक्स, विशेषकर इन्फोसिस और टीसीएस पर नज़र रखेंगे।

4. कच्चे तेल की कीमतों का असर

भारत जैसे ऊर्जा आयातक देश के लिए कच्चे तेल की कीमतें बेहद अहम होती हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंट क्रूड के दाम 80-85 डॉलर प्रति बैरल के आसपास घूम रहे हैं। यदि तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं तो यह भारतीय बाजार के लिए सकारात्मक संकेत होगा, लेकिन अचानक बढ़ोतरी से विदेशी मुद्रा भंडार और रुपया दोनों पर दबाव बन सकता है।

5. तिमाही नतीजों की दिशा

बीते कुछ हफ्तों से कंपनियों के तिमाही नतीजे सामने आ रहे हैं। कई कंपनियों के नतीजे उम्मीद से कमजोर रहे, जिससे बाजार पर दबाव बना। सोमवार को निवेशक उन कंपनियों पर ध्यान देंगे जिनके नतीजे घोषित होने वाले हैं। खासकर बैंकिंग और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के रिजल्ट्स से बाजार की दिशा तय होगी।

6. विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) और घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) की गतिविधि

भारतीय बाजार में FII और DII की भूमिका हमेशा अहम रहती है। पिछले कुछ हफ्तों में विदेशी निवेशकों ने बिकवाली की थी, लेकिन गुरुवार को खरीदारी का रुख अपनाया। यदि सोमवार को एफआईआई की खरीदारी जारी रहती है तो बाजार में मजबूती बनी रह सकती है।

7. रुपया बनाम डॉलर की चाल

भारतीय रुपया और डॉलर के बीच विनिमय दर भी शेयर बाजार को प्रभावित करती है। पिछले दिनों रुपया कमजोर होकर 83 प्रति डॉलर के स्तर के पास पहुंच गया था। यदि रुपया और गिरता है तो आयात-आधारित कंपनियों पर असर पड़ेगा। वहीं, आईटी और फार्मा जैसे निर्यातक सेक्टर को इसका फायदा मिल सकता है।

8. सरकारी नीतियां और आर्थिक सुधार

सोमवार को निवेशकों की नजर सरकार की नई घोषणाओं और नीतिगत सुधारों पर भी रहेगी। यदि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग या ऊर्जा सेक्टर से जुड़ी कोई राहत की घोषणा करती है तो इसका सीधा असर बाजार पर पड़ेगा। इसके अलावा जीएसटी कलेक्शन और औद्योगिक उत्पादन जैसे मैक्रोइकोनॉमिक डेटा भी अहम रहेंगे।

9. बैंकिंग सेक्टर की मजबूती

भारतीय शेयर बाजार की चाल में बैंकिंग सेक्टर का योगदान सबसे ज्यादा होता है। हाल ही में आरबीआई द्वारा ब्याज दरों को स्थिर रखने से बैंकों को राहत मिली है। निजी और सरकारी बैंकों के शेयरों में यदि खरीदारी बनी रहती है, तो सोमवार को निफ्टी बैंक इंडेक्स बाजार की दिशा तय करेगा।

10. निवेशकों की भावनाएं और मुनाफावसूली

अंत में, निवेशकों की धारणा यानी सेंटिमेंट भी बाजार की चाल का अहम फैक्टर होता है। लगातार गिरावट के बाद गुरुवार को बाजार में राहत की सांस देखने को मिली, लेकिन सोमवार को यदि निवेशक मुनाफावसूली करते हैं तो फिर से दबाव बन सकता है। वहीं, लंबी अवधि के निवेशक अभी भी आईटी, बैंकिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर पर दांव लगाने को तैयार दिख सकते हैं।

निष्कर्ष

सोमवार का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए बेहद अहम रहेगा। एक ओर वैश्विक संकेतक, रूस-अमेरिका वार्ता और कच्चे तेल की कीमतें दिशा तय करेंगे, वहीं दूसरी ओर घरेलू स्तर पर तिमाही नतीजे, बैंकिंग सेक्टर की मजबूती और सरकारी नीतियां बाजार को प्रभावित करेंगी।

निवेशकों को चाहिए कि वे सतर्क रहकर लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करें। अल्पकालिक उतार-चढ़ाव को देखते हुए डे ट्रेडिंग करने वाले निवेशकों के लिए जोखिम भी बना रहेगा। कुल मिलाकर, सोमवार को बाजार में उतार-चढ़ाव रह सकता है लेकिन मजबूत सेक्टर्स जैसे आईटी और बैंकिंग से उम्मीदें बनी रहेंगी।

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