भारत के ऑटो भाग निर्माण उद्योग ने वित्त वर्ष 2024-25 में ₹6.73 लाख करोड़ (लगभग USD 80.20) के रिकॉर्ड टर्नओवर के साथ एक नया मील का पत्थर पार किया। मनुअल एक्टमोटिव कंपोनेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) की रिपोर्ट कहती है कि इस उद्योग ने पिछले पाँच वर्षों में लगभग 14% के कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) के साथ विशिष्ट उन्नति की है। इंडस्ट्री आकार लगभग दोगुना हो चुका है, जब हम इसे FY20 से देखें।
हर क्षेत्र में मजबूत विकास: OEM, निर्यात और आफ्टरमार्केट में शानदार प्रदर्शन
ACMA की रिपोर्ट कहती है कि यह वृद्धि सीमित एक क्षेत्र या दो क्षेत्र तक न रहकर OEM सेल्स, एक्सपोर्ट्स, और आफ्टरमार्केट में बड़े व्यापक स्तर पर सुधार देखा गया है। In FY25, उनका कुल टर्नओवर में 9.6% सालाना वृद्धि हुई, मुख्यतः मजबूत रुग्णता मांग और विश्व स्तर पर भारतीय क्षमता की बढ़ती प्रतिस्पर्धा रखी हुई थी।
OEM सेल्स में 10% की वृद्धि, प्रीमियम और इलेक्ट्रिक वाहनों ने बढ़ाया मांग का स्तर
भारत में वाहन निर्माण में 8% की वृद्धि के साथ OEM के लिए कंपोनेंट सप्लाई 10% बढ़कर ₹5.7 लाख करोड़ हो गई। यह वृद्धि उन वाहनों की मांग के कारण हुई जो अधिक पावरफुल हैं और बेहतर फीचर्स के साथ आते हैं। इलेक्ट्रिक और प्रीमियम वाहनों में उपयोग होने वाले उच्च मूल्य के कंपोनेंट्स की मांग भी इस ग्रोथ का एक अहम कारण रही।
निर्यात में बढ़त, व्यापार अधिशेष से आत्मनिर्भर भारत को मिली मजबूती
भारत के ऑटो कंपोनेंट्स का निर्यात FY25 में 8% बढ़कर USD 22.9 बिलियन (₹1.92 लाख करोड़) हो गया। उत्तर अमेरिका 32% शेयर के साथ सबसे बड़ा बाजार बना, उसके बाद यूरोप (29.5%) और एशिया (26%) रहे। एशिया में निर्यात में 15.1% की शानदार वृद्धि हुई, जबकि यूरोप में 2.1% की मामूली कमी देखी गई।
दूसरी ओर, आयात 7.3% बढ़कर USD 22.4 बिलियन हो गया। कुल आयात का दो-तिहाई हिस्सा एशिया से आया। इसके बावजूद, FY25 में भारत को USD 453 मिलियन का व्यापार अधिशेष मिला, जो पिछले वर्ष के USD 300 मिलियन से अधिक है। यह स्थानीयकरण और मैन्युफैक्चरिंग एफिशिएंसी की दिशा में भारत की बढ़ती सफलता को दर्शाता है।
आफ्टरमार्केट ने दिखाया स्थिर विकास, ग्रामीण क्षेत्रों और ई-कॉमर्स का अहम योगदान
भारत की ऑटोमोटिव आफ्टरमार्केट FY25 में 6% से अधिक बढ़कर ₹99,948 करोड़ (USD 11.8 बिलियन) तक पहुँच गई। इसके पीछे प्रमुख कारण रहे:
• सेकेंड-हैंड वाहनों की बढ़ती संख्या
• ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत मांग
• मरम्मत और सेवा क्षेत्र में औपचारिकता का बढ़ना
• स्पेयर पार्ट्स और एक्सेसरीज़ की ऑनलाइन बिक्री में तेजी
ACMA की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह का बयान: ‘FY25 रहा ऐतिहासिक’
ACMA की प्रेसिडेंट और Subros की CMD श्रद्धा सूरी मारवाह ने कहा,
“ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री भारत की मैन्युफैक्चरिंग स्टोरी की रीढ़ बन चुकी है। हमारा ध्यान अब टेक्नोलॉजी, लोकल सोर्सिंग और हाई-वैल्यू कंपोनेंट्स में निवेश पर है।”
वहीं, हालाँकि उन्होंने यह भी माना कि जियोपॉलिटिकल तनाव और रेयर-अर्थ मैग्नेट्स की सीमित उपलब्धता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का भी समाधान निकालना जरूरी है। खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आवश्यक इन कच्चे माल को लेकर उन्होंने राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग की।
ACMA के डायरेक्टर जनरल विन्नी मेहता की राय: ‘भारत बना भरोसेमंद ग्लोबल हब’
ACMA के डायरेक्टर जनरल विन्नी मेहता ने इंडस्ट्री की क्षमता और अनुकूलन को सराहा। उन्होंने कहा,
“OEM, निर्यात और आफ्टरमार्केट—हर सेगमेंट में ग्रोथ दिखाता है कि भारत वैश्विक ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री में एक मजबूत खिलाड़ी बनकर उभरा है।”
वह मानते हैं कि जैसे-जैसे इंडस्ट्री नई मोबिलिटी ट्रेंड्स को अपनाएगी, यह ग्रोथ की रफ्तार बनी रहेगी।
Conclusion: भारत की कदम एनवाईआल्यू और ग्लोबल भारत की ओर
प्रदर्शन FY25 के भारत की ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री यह स्पष्ट करता है कि देश मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के विजन की ओर मजबूती से आगे बढ़ रहा है। मजबूत घरेलू मांग, निर्यात सफलता, और टेक्नोलॉजी पर बढ़ते निवेश ने भारत को एक भरोसेमंद सप्लायर बना दिया है क्योंकि वह वैश्विक ऑटो इंडस्ट्री की ओर मुड़ गया है।
वहाँ चुनौतियाँ हैं हालाकि अभी भी, जैसे कच्चे माल की उपलब्धता और वैश्विक अनिश्चितताएं, लेकिन यदि नीति, नवाचार और निवेश की दिशा बनी रहती है तो भारत की यह इंडस्ट्री आने वाले वर्षों में और भी ऊँचाइयाँ छूँ सकती है।