बेंगलुरु में व्यक्ति को कैब बुक करने पर ऑटो चालकों से मिली जान से मारने की धमकी

बेंगलुरु: आधुनिक तकनीक के इस दौर में जहां लोग ट्रेनिंग के लिए ज्यादा एक्सरसाइज कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इन सुविधाओं का इस्तेमाल कर खतरे का भी सामना कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जो बेंगलुरु शहर में आया, जहां एक आम नागरिक को सिर्फ मोटरसाइकिल बुक करने पर ऑटो रिक्शा वालों से जान से मारने की धमकियां मिलीं। यह घटना तब सामने आई जब पीड़ित ने अपने साथ हुई घटना को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर शेयर किया। उसने विस्तार से बताया कि कैसे एक साधारण कैब बुक करने की हरकत ने उसे एक साधारण अनुभव का सामना करने पर मजबूर कर दिया। घटना का विवरण पीड़ित के मुताबिक वह किसी काम से कॉलेज की व्यस्त सड़क पर खड़ा था और उसने राइड-हेलिंग ऐप (जैसे ओला, रीस्टार्ट या रेडो) के जरिए बाइक टैक्सी बुक की। जैसे ही बाइक आगे बढ़ी तो वहां कुछ स्थानीय ऑटो चालक खड़े थे। ऑटो रिक्शा वालों ने पहले तो व्यक्ति से बाइक की सवारी कैंसिल करने को कहा और जब उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो उन्होंने उसे घेर लिया और मारपीट शुरू कर दी हालात ऐसे हो गए कि पीड़ित को अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागना पड़ा।

सोशल मीडिया पर साझा किया अनुभव

पीड़ित ने रेडिट पोस्ट में यह सैद्धांतिक अनुभव साझा किया, जिसमें उसने लिखा कि कैसे आज के समय में आम आदमी बिना किसी डॉक्टर के, खुद से कोई सुविधा नहीं चुन सकता। उसने कहा, “मैंने बाइक टैक्सी बुक की थी क्योंकि यह जल्दी और सस्ती थी। लेकिन वहां मौजूद ऑटो एक्सपर्ट ने मुझे घेर लिया और कहा कि अगर मैंने ऐसा किया तो इसका नतीजा बुरा होगा।”

जैसे ही यह पोस्ट वायरल हुई, सोशल मीडिया पर कई उपभोक्ताओं ने इस घटना पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का मामला नहीं है, बल्कि एक बड़ी समस्या का संकेत है।

अधिकांश अशिक्षित और अवैध कारोबारी

यह पहली बार नहीं है कि बेंगलुरु या दूसरे बड़े शहरों में ऑटो चालकों द्वारा यात्रियों को धमकाने की खबरें आई हैं। कई बार देखा गया है कि जब यात्रियों को ऐप आधारित सेवाओं में विविधता दी जाती है, तो ऑटो एक्सपर्ट उससे जुड़ जाते हैं, जिससे वे हिंसक हो जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह एक तरह का ‘एकाधिकार’ बनाने की कोशिश है, जिसमें यात्रियों को बस अपहरण के लिए मजबूर किया जाता है।

इस तरह की घटनाएं न केवल आम जनता की सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं, बल्कि ये तकनीक आधारित सेवाओं के लिए भी खतरनाक खतरा बन रही हैं, जिन्हें मजबूत बनाने और बड़ी कंपनियां बनाने की दिशा में काम कर रही हैं।

प्रशासन की भूमिका और बर्बादी

इस घटना के बाद कई नागरिकों ने स्थानीय प्रशासन और सीमेंट पुलिस से ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। बेंगलुरु जैसे बड़े मेट्रो शहर में जहां लाखों लोग रोजाना कैब और बाइक सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं, वहां इस तरह की घटनाएं लोगों की सुरक्षा और स्वतंत्रता पर सवाल उठाती हैं।

मौजूदा परिवहन सड़कों के अलावा ऐप आधारित आध्यात्मिक साधन कानूनी रूप से उपलब्ध हैं और आम नागरिक को अपने हिसाब से यात्रा का साधन चुनने का अधिकार है। लेकिन अगर इस प्रक्रिया में डर और खतरा शामिल हो जाए, तो यह एक गंभीर सामाजिक और असंभव चुनौती बन जाती है।

निष्कर्ष

बेंगलुरू में सामने आई यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कैसे आज भी कई जगहों पर पुरानी सोच और आश्रम आधुनिक तकनीकी सेवाओं की राह में भटक रहे हैं। यह जरूरी है कि सरकार, सीएमडी विभाग और प्रशासन ऐसे मामलों पर चर्चा करें ताकि आम जनता सुरक्षित यात्रा कर सके।

ऐसे समय में जब शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिशें हो रही हैं, यह घटना याद दिलाती है कि तकनीक तभी विकसित होगी जब इसके साथ आम लोगों की सुरक्षा और आजादी सुनिश्चित होगी।

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